विद्यार्थियों के लिए विदाई भाषण: फेयरवेल स्पीच (Farewell Speech in Hindi for Students)
हम निकले थे ज़रूर मंज़िल ढूंढने पर अब तो लगता है ये रस्ते ही मंज़िल बन गए है। ऐसा लगता है कि मानो कल की ही बात हो जब मैंने अपना पहला कदम यहाँ रखा था। आँख तब भी नम थी आँख आज भी नाम है फ़र्क बस इतना है उस वक़्त डर के आशु थे आज गम के है।
उस दिन अजीब सी डर और बेचैनी भी शायद नये वातावरण में आने दे ऐस्क़ हुआ था पर डर ये था कि क्या ये मुझे अपनाएंगे और बेचैनी इस बात कि थी की पता नहीं इस सफर में कौन कैसे साथ निभायेगा। वो दिन है और आज का दिन है सब कुछ बदल गया है ।
आज यहाँ पर उपस्थित सभी लोग मेरे परिवार का हिस्सा है। लगाव हो गया है मुझे इस महकती वादियों से ये चार दीवारों से। न जाने कैसे इतना समय गुज़र गया मुझे तो लगता है जैसे कल ही की बात हो जब मैंने होमवर्क नहीं किया था और टीचर ने मुझे डाट लगायी थी।
उस दिन कुछ जिगरी दोस्त मिले थे जो मुझे लगता है मेरा साथ हमेशा निभाएंगे। शुरवात में तल मुझे यहाँ आने को भी मन नहीं करता था पर कुछ ही दिनों में यहाँ से जाना का मन नहीं होने लगा। रविवार भी खलने लगी थी दोस्तों से मिलने के लिए दिल मचलने लगी थी। सोमवार की सुबह का इंतज़ार आँखों से जाता ही नहीं था।
शायद ये जगह नहीं यहाँ के लोग पसंद थे। ये तो हो गयी दोस्तों की बात पर यहाँ पर कुछ ऐसे अध्यापक भी है तो दोस्त बन चुके है।
जिनके साथ हम पढ़ाई तो करते ही है पर मस्ती भी उतना ही करते है। जिनके क्लास का हमें बेसब्री से इंतज़ार रहता है और दिन भर वो ही पढ़ाये ऐसा मन करता है।
पर कुछ ऐसे भी टीचर है जो अपने काम को बहुत शिद्दत के साथ करते है और उनको पढाई में कली लापरवाही नहीं चाहिए।
शिक्षक द्वारा डांट-प्यार (छात्रों के लिए विदाई भाषण)
भले ही हम इनको पसंद ना करे लार इन्हें हमारे भविष्य कज चिंता हमसे ज़्यादा ही रही है। पर आज में उन सारे टीचर को धन्यवाद देना चाहती हूँ जिन्होंने मुझे मेरे मंज़िल के इतने करीब लेके आएं है। बिना इनके मदत से शायद हम एक कदम भी नहीं चल पाते। खैर जैसे भी है यादें बहुत प्यारी है इन सब के साथ।
हमने हर एक लम्हे को यहाँ जिया है। चाहे वो सुबह की प्राथना हो या टीचर का क्लास में आना हम हर चीज़ में अपनी मस्ती ढूंढ लेते थे।
टीचर का सावल करना और हमारा उनसे चेहरा छुपाना या अपने दोस्त को जवाब देने के लिए फसाना। वो पीछे बैठ के चोरी छिपे टिफिन खाना।
पानी पीने के बहाने पुरे बिल्डिंग के चक्कर काटना और चुपके से पीछे के दरवाजे से घुसना। एक अलग ही मज़ा था उन शैतानियों में। पिटी क्लास में लाइन में सबसे आगे रहना और क्लास खत्म होने पर 10 मिनट बाद क्लास जाना और उसके बाद टीचर का हमें बहार खड़ा रखना।
छुट्टी के वक़्त बस में मस्ती करना एक दूसरे को चिढ़ाना और ज़ोरो से गाना गाना याद रहेगा सब मारते दम तक की कैसे जिया था हमने ज़िन्दगी हमने अपनों के साथ। हर एक किस्सा पीछे खिंचता है अपने यादों में और मुस्कान ले आता है होठों पर।
सबसे ज़्यादा तो सुबह की प्राथना याद आएगी की कैसे हम अपने जूते मोज़े में साफ़ करते थे और नाख़ून दांतो से कुतर डालते थे ताकि डाट न पड़े। वो सुबह प्रिंसिपल की स्पीच और हमारा उनपर गुस्सा करना याद आएँगी आज के बाद सब।
वो क्लास में नोटिस का आना और हमारी ये जानने की उतेजना की आखिर नोटिस में लिखा क्या है। छुट्टी की खबर सुनने नाचना और टेस्ट की खबर से विचलित होना। बड़ी याद आएगी वो नोटिस भी।
दोस्त, टीचर और पढ़ाई करने का जज़्बा दिया है इस जगह ने पर कुछ दुश्मन से भी नाता जोर दिया है अपना। ना जाने कितने झगड़े किये है कितनो को मारा है और कितनो से पिट कर आये है।
कभी प्रिंसिपल ने माँ बाप को बुला कर डाट लगायी है और कभी खुद ही डाट कर बात खत्म करवाई है। आज भी लड़ने को तैयार रहते है हम बस सही समय का इंतज़ार करते है हम।
पर ये समय ऐसा है कि शायद हम अपनी नाराज़गी भी भूल जाये दोस्त बन जाये या ज़िन्दगी भर के लिए अपने दिल में बसे कड़वाहट को भूल जाये। शायद ये चीज़ दिमाग न करना चाहे पर दिल अभी जज़्बातों में बह चूका है और चाहता है माफ़ करना सभी की गलतियों को। इस नफरत को भूल जाने में ही समझदारी है न जाने फिर मुलाकात कब हो।
सीनियर हमेशा साथ निभाते (छात्रों को विदाई भाषण)
इन सब के अलावा बड़े भाई बहन जैसे सीनियर्स भी मिले जिन्होंने हमारे साथ बहुत प्यार से पेश आते थे। वो हमारी सारी चीज़ों में मदत करते थे और हमें आगे बढ़ने का मार्ग भी दिखाते थे। अगर सीनियर्स ने हमारा बचाव किया तो जूनियर्स ने हमारा साथ दिया।
वे लोग भी हमारे साथ मस्ती करना सीख गये और हमारी ज़िन्दगी का एक अजीज़ हिस्सा बन गए। खुलेगा इनका यादों का पन्ना भी जब याद करेंगे इस जगह की खुशियों को।
शायद भूल जायेगा ये जगह हमें पर हम नहीं भूल पाएंगे इसे। इतनी खूबसूरत यादों को भी भला कोई भूलता हैं।मुझे याद है आज भी जब हम सब मिल कर पिकनिक गये थे कितनी सारी मस्ती किये थे हमने। काश रुक जाता ये पल थाम जाती ये ज़मी न दूर होने पड़ता अपने दोस्तों से नहीं ही इस जगह से।
पर ये काश ही रह जायेगा क्योंकि आज हमें यहाँ से विदा किया जा रहा है हमेशा के लिए कुछ अछि कुछ बुरी यादों के साथ। शायद निकाल दोगे तुम हमें अपने यादों से पर हम नहीं भूल पाएंगे इन खूबसूरत लम्हो को।
हर इंसान को बहुत-बहुत शुक्रिया
आज का ये दिन मुझे मिला है हर उस इंसान को शुक्रिया करने का जिन्होंने मुझे मेरी मंज़िल पाने में मदत की मुझे सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। मुझे हौसला दिया की मैं किसी से कम नहीं हूं और मैं भी उचाईयों को छू सकती हूं।
मैं धन्यवाद देना चाहूंगी अपने पिटी टीचर को जिन्होंने हमें नये नये खेल के बारे में अवगत किया था हमें प्रेरणा दी इन खेलों को खेल कर तंदुरुस्त रहने का।
में शुक्रियाँ कहना चाहूंगी उन लोगो से भी जिन्होंने हमारे क्लास को इतना स्वछ रखा, पुरे जगह की इतनी सफाई की और हमारे लिए अच्छे अच्छे नोटिस लाया आपने।
धन्यवाद उन सब का जो मेरे इस रास्ते में मेरे साथ चले और जिनकी वजह से मंज़िल भी छोटी लगने लगी। मैं तहे दिल से आप सबका शुक्रियादा करती हूं।
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